प्रिय सम्मानित साथी,
वाराणसी, जो बनारस या काशी के नाम से भी मशहूर है यह दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है | जो 11 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से काशी एक आध्यात्मिक व सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी जानी जाती है | विभिन्न धर्मावलम्बियों के विचारों का केंद्र होने, अपनी साँझा संस्कृति व गंगा जमुनी तहजीब और बहुलतावादी संस्कृति के साथ ही साथ यह अपने पवित्र गंगा घाट के कारण दुनिया में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना है |
जहाँ एक तरफ पुरातन समय से हर धर्म और जाति में समुदायों के बीच में आपस में एक दूरी बनाई गयी है जिसकी वजह से इनमे कभी समन्वय स्थापित नहीं हो पाता है | इसलिए #काशी से "नव-दलित" आंदोलन का आगाज़ करने हेतु एक बेहतरीन मंच बन सकता है जिसके माध्यम से हम आपसी एकता और एकजुटता को बढ़ावा दे सकते है |
9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गयी थी इसी ऐतिहासिक दिन के उपलक्ष्य में वाराणसी के मूलगादी #कबीरचौरा मठ में 9 अगस्त 2018 को “नव दलित सम्मेलन” का आयोजन किया जा रहा है जो एक बेहतर भारत और बेहतर दुनिया के लिए बनारस सम्मेलन के बाद यह एक कदम आगे बढ़ने जा रहा है।
सभी 'टूटे हुए लोगों' और ‘प्रगतिशील लोगों’, की एकता दण्डहीनता की संस्कृति व वंचितिकरण के खिलाफ लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि कि यह परिवर्तन उन लोगों से ही नहीं आएगा, जो इस प्रणाली से लाभ उठाते हैं | इसलिए, संरचनात्मक परिवर्तन केवल सामाजिक पिरामिड के नीचे से ही आना चाहिए | इस आंदोलन को 'नवदलित' कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में दलित समुदाय ही है, जो सबसे ज्यादा पीड़ित है और दलित आन्दोलन दुनिया का सबसे उत्कृष्ट अहिंसात्मक व परिणामदायी आन्दोलन रहा है |
“नवदलित आंदोलन” को करने का उद्देश्य राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में न्याय व समता के परिप्रेक्ष्य में बदलाव लाना प्रमुख है | सबसे पहले, हम कानूनी प्रक्रिया द्वारा राजनीतिक दमन और दण्डहीनता के खिलाफ लड़ सकते हैं | कई मानवाधिकार संगठन पहले से ही 'कानून के गलत नियमों का सम्मान करने वाले ब्राह्मणवादी सोच (पुरोहितवादी सोच) को चुनौती देते हुए सरकार से न्याय पर आधारित कानून के राज को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं | वही दूसरी ओर हमें संज्ञानात्मक कमजोरी को बदलकर सामाजिक दण्ड को हराना होगा | क्योकि जातिवादी संग्यनात्मकता ने लोगों को अपनी हीन भावना का शिकार बनाया है और ‘चुप्पी की संस्कृति’ को बढ़ावा दिया है | आज हमें नव दलितों के लिए एक आम मंच बनाने की जरूरत है जिससे यह चुप्पी की संस्कृति की दीवार तोड़ी जा सके, जो यथास्थिति के प्रति स्वीकार्यता की राह प्रशस्त करता है | ऐसे में हमें इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए संवाद की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए जो उन्हें सिखाएगी कि संवैधानिक रूप से हम सभी समान हैं |
नवदलित आंदोलन वंश, जाति, धर्म और लिंग पर आधारित भेदभाव का सामना करने वाले सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उम्मीद, सम्मान और मानवीय गरिमा का प्रतीक है | दण्डहीनता व चुप्पी की संस्कृति के खिलाफ न्याय, क्षमा याचना व न्याय पर आधारित नेल्सन मंडेला के संघर्ष का माडल है | जाति व्यवस्था, सामंतवाद, सांप्रदायिक फासीवाद और नवउदारवाद के खिलाफ विभिन्न समुदायों में एकता लाने के लिए एक पहल है | यह भविष्य में दुनिया में बहुलवादी लोकतंत्र व सभी को तरक्की में योगदान करने की उम्मीद पैदा करता है।
आपको न्याय के साथ सतत शांति के राजदूत बनने के लिए एक विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित करता हूं | ताकि सांप्रदायिक सोच और सांप्रदायिक फासीवाद के खिलाफ हमारे संघर्ष में हम आपके समृद्ध अनुभव से लाभान्वित हो सकें |
हम आपको विशेष अतिथि के रूप में भी आमंत्रित कर रहे हैं | कृपया pvchr.india@gmail.com पर अपनी भागीदारी की पुष्टि कर सकते है |
स्थान : मूलगादी कबीर चौरा मठ, पिपलानी कटरा के पास, कबीर चौरा, वाराणसी |
दिनांक : 9 अगस्त, 2018
समय : 11 बजे सुबह
भवदीय
नव दलित विमर्श समन्वयन समिति
मानवाधिकार जननिगरानी समिति, फ्रंट लाइन पब्लिकेशन (लन्दन), यूनाईटेड अगेंस्ट हेट, सात्विक, मीडिया विजिल ट्रस्ट, अशोक मिशन एजुकेशनल सोसाईटी, गाँव के लोग, आशा, सावित्री बा फूले महिला पंचायत, बुनकर दस्तकार अधिकार मंच, यूनाईटेड सिटिज़न फोरम
संपर्क – 9935599333
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#NeoDalit #PVCHR
i am impress coming at varanasi.
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